व्यक्ति की गरिमा की स्थापना संबंधित प्रयास व न्याय, स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व को बढ़ावा मूल्यों एवं कार्यों को बढ़ावा देने संबंधी कार्यक्रम करना तथा इनसे संबंधित जागरूकता अभियान व गतिविधियों का आयोजन करना।
भूमिका
किसी भी समाज की प्रगति का आधार वहां के नागरिकों की व्यक्तिगत गरिमा और सामाजिक न्याय की स्थापना पर निर्भर करता है। व्यक्तिगत गरिमा का तात्पर्य व्यक्ति की आत्मसम्मान, स्वतंत्रता और अधिकारों की सुरक्षा से है, जबकि सामाजिक न्याय का अर्थ समाज में समानता, निष्पक्षता और अवसरों की समान उपलब्धता से है। जब कोई समाज अपने प्रत्येक सदस्य को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार देता है और सबको न्याय प्रदान करता है, तो वह समाज वास्तविक रूप से प्रगतिशील और समृद्ध बनता है।
व्यक्तिगत गरिमा का महत्व
व्यक्तिगत गरिमा प्रत्येक व्यक्ति का मूल अधिकार है। यह उसके आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र अस्तित्व को सुनिश्चित करता है। व्यक्तिगत गरिमा के बिना व्यक्ति मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से कमजोर पड़ सकता है। इसके प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं—
स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय का अधिकार :
हर व्यक्ति को अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, चाहे वह शिक्षा, रोजगार या जीवनशैली से संबंधित हो।
सम्मान और आत्मसम्मान
किसी भी व्यक्ति को जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव का शिकार नहीं होना चाहिए। हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है।
आर्थिक स्वतंत्रता
एक आत्मनिर्भर व्यक्ति ही समाज में गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकता है। इसके लिए रोजगार और आर्थिक अवसरों की उपलब्धता आवश्यक है।
शारीरिक और मानसिक सुरक्षा
किसी भी प्रकार की हिंसा, शोषण और दुर्व्यवहार से मुक्त रहना व्यक्तिगत गरिमा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
सामाजिक न्याय का महत्व एवं उसकी आवश्यकता
सामाजिक न्याय का तात्पर्य समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर, अधिकार और संसाधनों की उपलब्धता से है। यह किसी विशेष वर्ग, जाति या समूह को विशेषाधिकार देने के बजाय सभी को समान अधिकार प्रदान करने की प्रक्रिया है। इसके कुछ प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं—
समानता और निष्पक्षता
- प्रत्येक व्यक्ति को जाति, धर्म, लिंग, भाषा और आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव से मुक्त समाज मिलना चाहिए।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा में समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
आरक्षण और विशेष अवसर
- समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए आरक्षण और विशेष अवसरों की नीति आवश्यक है, ताकि वे भी मुख्यधारा में आ सकें।
कानूनी सुरक्षा और मानवाधिकार
- प्रत्येक नागरिक को न्याय प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए।
- महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित समूहों के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कानूनों का क्रियान्वयन आवश्यक है।
आर्थिक और सामाजिक समावेशन
- गरीब और पिछड़े वर्गों को वित्तीय सहायता और रोजगार के अवसर प्रदान करना सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- समाज में प्रत्येक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए।
व्यक्तिगत गरिमा और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के उपाय
शिक्षा का प्रसार
सभी को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
रोजगार और आर्थिक विकास
समाज में सभी के लिए रोजगार के उचित अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक है।
महिला सशक्तिकरण
महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा प्रदान कर उनकी गरिमा को संरक्षित किया जा सकता है।
न्यायपालिका और प्रशासन में पारदर्शिता
कानून का समान रूप से पालन होना चाहिए, जिससे समाज में न्याय व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।
सामाजिक जागरूकता
समाज में व्यक्तिगत गरिमा और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता फैलाना आवश्यक है, ताकि लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें।